Episode 345 - Normal बातें । How was the festival of Diwali for us and how did we celebrate it?
26 ott 2024 ·
13 min. 43 sec.
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Descrizione
हम सभी पॉडकास्ट एपिसोड में यह जानने की कोशिश करने वाले हैं कि दीपावली का त्योहार हमारे लिए किस प्रकार बहुत ही ज्यादा जरूरी हुआ करता था जो कि अभी भी है ।
दीपावली के त्योहार पर हम बहुत सारी चीजों का इंतजार किया करते थे जिनमें से कई ऐसी चीज हैं ना जो कि हमें कुछ दिन पहले ही पता चलती थी क्योंकि घर की साफ सफाई हो रही है और हमें पता चलता था कि यह भी होता है दुनिया में क्योंकि बच्चे थे ना पता ही नहीं था कुछ भी तो जो देखते हैं वही मांग लेते मिल भी ज्यादा था एक समय पर क्योंकि कुछ भी हमसे छूटा नहीं था।
चाहे वह नए कपड़े हो ?
मिठाइयां हो ?
लोगों से मिलने जाना हो ?
अपने दोस्तों से मिलने जाना हो ?
दोस्तों के साथ दिवाली का त्योहार सेलिब्रेट करना हो ?
अपने सगे संबंधियों से मेल जोड़ बढ़ाना हो ?
या फिर सगे संबंधियों के घर पर जाकर बैठना हो ?
हम तो सभी संबंधियों के घर पर जाकर खाना भी खा लिया करते थे ?
दीपावली का त्योहार इन सभी चीजों से आगे था और हम जो है हर एक चीज को एक अलग नजरिए से देखते थे और यह सोचते थे कि दुनिया जो है ना वह ऐसी ही और फिलहाल हमारे लिए है हर चीज और यही एक कारण है जिसके कारण जो है ना हमें दीपावली का जो फेस्टिवल है जो त्यौहार है बहुत ही ज्यादा अच्छा लगता है ।
वैसे आप हमसे जुड़े रहते हैं आप सभी का धन्यवाद ऐसे ही हमारे से जुड़े रहिए और हमारे इस पॉडकास्ट चैनल को like comment share subscribe follow five star rating देते रहिए और हमारे साथ बने रहिए ।
दीपावली के त्योहार पर हम बहुत सारी चीजों का इंतजार किया करते थे जिनमें से कई ऐसी चीज हैं ना जो कि हमें कुछ दिन पहले ही पता चलती थी क्योंकि घर की साफ सफाई हो रही है और हमें पता चलता था कि यह भी होता है दुनिया में क्योंकि बच्चे थे ना पता ही नहीं था कुछ भी तो जो देखते हैं वही मांग लेते मिल भी ज्यादा था एक समय पर क्योंकि कुछ भी हमसे छूटा नहीं था।
चाहे वह नए कपड़े हो ?
मिठाइयां हो ?
लोगों से मिलने जाना हो ?
अपने दोस्तों से मिलने जाना हो ?
दोस्तों के साथ दिवाली का त्योहार सेलिब्रेट करना हो ?
अपने सगे संबंधियों से मेल जोड़ बढ़ाना हो ?
या फिर सगे संबंधियों के घर पर जाकर बैठना हो ?
हम तो सभी संबंधियों के घर पर जाकर खाना भी खा लिया करते थे ?
दीपावली का त्योहार इन सभी चीजों से आगे था और हम जो है हर एक चीज को एक अलग नजरिए से देखते थे और यह सोचते थे कि दुनिया जो है ना वह ऐसी ही और फिलहाल हमारे लिए है हर चीज और यही एक कारण है जिसके कारण जो है ना हमें दीपावली का जो फेस्टिवल है जो त्यौहार है बहुत ही ज्यादा अच्छा लगता है ।
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Informazioni
Autore | Amit Kumar Gupta |
Organizzazione | Amit Kumar Gupta |
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