एन आई ए संशोधन विधेयक से डर क्यों?
16 lug 2019 ·
11 min. 9 sec.
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Descrizione
15 जुलाई 2019 को भारत की संसद में एक विधेयक पेश किया गया जिसका नाम था एन आई ए संशोधन विधेयक| वैसे तो यह विधेयक सरकार के बहुमत में होने के कारण पास हो गया लेकिन इसके विरोध में जो 6 वोट पड़े वे चिंताजनक थे| और साथ ही ओवैसी जैसे मजहब परस्त कट्टरपंथियों के लिए डर का विषय भी बने| तो इस पर चर्चा करते हुए पहले यह जानते हैं कि एन आई ए विधेयक क्या है?
राष्ट्रीय जांच एजेंसी विधेयक (एनआईए विधेयक), भारत सरकार का एक कानून है जो आतंकवाद से लड़ने के लिए दिसम्बर, 2008 में भारतीय लोकसभा में पारित हुआ था। इस कानून में कई कड़े प्रावधान देने की बात कही गई।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) बनाने का प्रस्ताव।
•इस एजेंसी को विशेष अधिकार हासिल होंगे ताकि आतंकवाद संबंधी मामलों की जांच तेजी से की जा सके।
•अब यह जिम्मेदारी पकड़े गए व्यक्ति की होगी कि वह खुद को निर्दोष साबित करे।
•एनआईए के सब-इंस्पेक्टर रैंक से ऊपर के अधिकारी को जांच के लिए स्पेशल पावर दी जाएगी।
•एनआईए को 180 दिन तक आरोपियों की हिरासत मिल सकेगी। फिलहाल जांच एजंसी को गिरफ्तारी के 90 दिन के भीतर ही चार्जशीट फाइल करनी होती है।
•विदेशी आतंकवादियों को जमानत नहीं मिल पाएगी।
•एनआईए के अपने विशेष वकील और अदालतें होंगी जहाँ आतंकवाद से संबंधित मामलों की सुनवाई होगी।
तो अब बात करते हैं कि जब इस विधेयक को 2008 में बनाया गया था तो इसमें बदलाव के लिए या नए क़ानून बनाने की आवश्यकत क्यों पड़ी?
तो पहले तो वर्तमान में आतंकवाद के प्रति भारत के रूख को जानना जरूरी है| पिछले वर्षों में हुए आतंकी व नकस्ली हमलों में भारत ने अपना बहुत कुछ खोया है| जहाँ बहुत से स्थानों पर विकास कार्यों में रूकावटें आई है वहीँ भारत के जाने-माने धुरंधर नेता और सैनिक भी आतंक के शिकार हुए हैं| जिसे देखते हुए अंतर्राष्टीय स्तर पर भारत के दूसरी बार बहुमत से मनोनीत वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने आतंकवाद से लड़ने के लिए पूरी दुनिया का सहयोग माँगा है| मोदीजी ने स्पष्ट किया है कि किसी भी सूरत में आतंक को बर्दास्त करने के लिए देश मूड में नहीं है| मतलब अब जो भी बात होगी सीधे या तो मेज पर होगी या फिर समाधान सैनिकों द्वारा किया जाएगा| अब ऐसे में जो विदेशी आतंकवाद भारत में कार्यवाही को अंजाम देने के बाद भारतीय सुरक्षा और सविधान को धत्ता पहुंचाते हुए दूसरे आतंकी देशों में शरण लेने पहुँच जाता है तो ऐसे में भारत द्वारा क्या कार्यवाही की जा सकती है उस पर भारत के शीर्ष व बुद्धिमान अर्थशास्त्रियों, सुरक्षाविदों, नेताओं व मिडिया द्वारा चिंतन अनिवार्य हैं|
जिसे ध्यान में रखते हुए लोकसभा ने 15 जुलाई 2019 सोमवार को ‘राष्ट्रीय अन्वेषण अधिकरण संशोधन विधेयक 2019' को मंजूरी दे दी जिसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भारत से बाहर किसी अनुसूचित अपराध के संबंध में मामले का पंजीकरण करने और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है| निचले सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि आज जब देश दुनिया को आतंकवाद के खतरे से निपटना है, ऐसे में एनआईए संशोधन विधेयक का उद्देश्य जांच एजेंसी को राष्ट्रहित में मजबूत बनाना है|
रेड्डी ने कहा, ‘आतंकवाद का कोई धर्म, जाति और क्षेत्र नहीं होता| यह मानवता के खिलाफ है| इसके खिलाफ लड़ने की सरकार, संसद, सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है|' रेड्डी ने कुछ सदस्यों द्वारा चर्चा के दौरान दक्षिणपंथी आतंक और धर्म का मुद्दा उठाए जाने के संदर्भ में कहा कि सरकार हिंदू, मुस्लिम की बात नहीं करती| सरकार को देश की 130 करोड़ जनता ने अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी दी है और जिसे चौकीदार के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वीकार किया है| देश की सुरक्षा के लिए सरकार आगे रहेगी| उन्होंने कहा कि सरकार आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने की जिम्मेदारी हाथ में लेगी| एनआईए को शक्तिशाली एजेंसी बनाया जाएगा|
सदन ने मंत्री के जवाब के बाद विपक्ष के कुछ सदस्यों के संशोधनों को खारिज करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया|
जबकि इस विधेयक की चर्चा के दौरान ओवैसी ने कहा- डराइये मत,
जिस पर भारतीय गृहमंत्री अमित शाह बोले- डराया नहीं जा रहा है, लेकिन डर जेहन में है तो क्या किया जा सकता है|
इससे पहले विधेयक को विचार करने के लिए सदन में रखे जाने के मुद्दे पर एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने मत-विभाजन की मांग की| गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा कि इस पर मत-विभाजन जरूर होना चाहिए| इसकी हम भी मांग करते हैं ताकि पता चल जाए कि कौन आतंकवाद के साथ है और कौन नहीं| मत विभाजन में सदन ने 6 के मुकाबले 278 मतों से विधेयक को पारित किए जाने के लिए विचार करने के लिए रखने की अनुमति दे दी|
गृह राज्यमंत्री रेड्डी ने कहा कि इस संशोधन विधेयक का मकसद एनआईए अधिनियम को मजबूत बनाना है| आज आतंकवाद बहुत बड़ी समस्या है, देश में ऐसे उदाहरण हैं जब मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री आतंकवाद के शिकार हुए हैं| आतंकवाद आज अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय समस्या है| ऐसे में हम एनआईए को सशक्त बनाना चाहते हैं| उन्होंने कहा कि जहां तक एनआईए अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति का विषय है तो हम सिर्फ प्रक्रिया को सरल बनाना चाहते हैं| कई बार जज का तबादला हो जाता है, पदोन्नति हो जाती है, तब अधिसूचना जारी करना पड़ती है और इस क्रम में दो तीन माह चले जाते हैं| हम इसे रोकना चाहते हैं|
उन्होंने स्पष्ट किया कि एनआईए अदालत के जजों की नियुक्ति संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ही करते रहेंगे, जिस तरह अभी प्रक्रिया चल रही है| गृह राज्य मंत्री ने कहा कि आतंकवाद के विषय पर केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर काम करेगी| दोनों में तालमेल रहेगा| उन्होंने पाकिस्तान के आतंकवाद से संबंधित समझौते पर दस्तखत करने या नहीं करने के सवाल पर कहा कि पुलवामा और बालाकोट आतंकी हमलों के बाद भारत ने बता दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ जांच कैसे होती है| उनका इशारा सजिर्कल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक की ओर था|
रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस के समय ही एनआईए कानून में कई कानूनों को जोड़ा गया था लेकिन उस समय इस पर ठीक से काम नहीं हुआ और हम संशोधन लेकर इसे उन्नत बना रहे हैं| उन्होंने बताया कि एनआईए ने 272 मामलों में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की| इनमें 52 मामलों में फैसले आए और 46 में दोषसिद्धी हुई| रेड्डी ने बताया कि 99 मामलों में आरोपपत्र दाखिल हो चुका है|
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विधेयक से एनआईए की जांच का दायरा बढ़ाया जा सकेगा और वह विदेशों में भी भारतीय एवं भारतीय परिसम्पत्तियों से जुड़े मामलों की जांच कर सकेगी जिसे आतंकवाद का निशाना बनाया गया हो| उन्होंने कहा कि इसमें मानव तस्करी और साइबर अपराध से जुड़े विषयों की जांच का अधिकार देने की बात भी कही गई है|
अब बात करते हैं कि औवेशी सहित बाकी 6 सांसदों का इस विधेयक के प्रति विरोध दर्ज करवाने बारे|
तो मत विभाजन में सदन ने 6 के मुकाबले 278 मतों से विधेयक को पारित कर दिया। लेकिन 6 सांसद जिन्हें लगता है कि यह विधेयक एक विशेष वर्ग के खिलाफ बनाया जा रहा है ने इसका विरोध किया है| इन सांसदों के मुखिया एवं AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी के अनुसार “हमें डराया जा रहा है” ओवैसी ने बहस के दौरान कहा था कि सरकार अल्पसंख्यकों को डराने की कोशिश न करें। ओवैसी ने बहस के दौरान कहा था कि सरकार अल्पसंख्यकों को डराने की कोशिश न करें। ओवैसी ने समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में कहा, 'क्या उन्होंने राष्ट्रभक्त और देशद्रोहियों की दुकान खोल रखी है?' हैदराबाद के सांसद ने आरोप लगाया, 'अमित शाह ने मेरी तरफ उंगली कर धमकाया लेकिन वह सिर्फ एक गृह मंत्री, भगवान नहीं।
सांसद ओवेसी की उक्त बातों से कहीं इस बात की पुष्टि नहीं होती कि वे आतंकवाद का विरोध कर रहे हैं या एन आई ए एजेंसी का| लेकिन यह बात अवश्य स्पष्ट हो रही है कि वे कहीं न कहीं अपने देश को अराजकता में झोंक कर अपनी राजनीति चमकाने के उद्देश्य से इस प्रकार की बहस का भाग बनना चाहते हैं ताकि उनकी कौम या उनका समाज उनके प्रति आश्वस्त रहते हुए उनकी पार्टी को ही वोट करे| 2014 के चुनाव के बाद बंटा हुआ मुस्लिम समाज कईं क्षेत्रीय पार्टियों में विभाजित हो गया है जिस कारण ओवेसी जैसे नेताओं को असुरक्षा की भावना पनपनी अनिवार्य है| खोती हुई सत्ता, निचे से खिसकती हुई कुर्सी बचाने की चाह में देश की सुरक्षा को ताक पर रखने वाले ऐसे खुदावर नेता स्वार्थ की राजनीति में इतने खो जाते हैं कि उन्हें असलियत कहीं कोसो दूर तक नजर नहीं आती| ओवेसी जैसे नेताओं की बेतुकी बहस किसी अंजाम तक पहुंचे या नहीं लेकिन जनता को गुमराह करने का कार्य अवश्य कर जाती है| जिससे देश में अराजकता फैलाने वाली विदेशी ताकतों को बल मिलता है और यही देश के विकास में रोड़ा भी साबित होता है| ऐसे में स्वार्थी नेताओं का तो कोई नुक्सान नहीं होता लेकिन देश हर बार एक सदी पीछे अवश्य चला जाता है|
राष्ट्रीय जांच एजेंसी विधेयक (एनआईए विधेयक), भारत सरकार का एक कानून है जो आतंकवाद से लड़ने के लिए दिसम्बर, 2008 में भारतीय लोकसभा में पारित हुआ था। इस कानून में कई कड़े प्रावधान देने की बात कही गई।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) बनाने का प्रस्ताव।
•इस एजेंसी को विशेष अधिकार हासिल होंगे ताकि आतंकवाद संबंधी मामलों की जांच तेजी से की जा सके।
•अब यह जिम्मेदारी पकड़े गए व्यक्ति की होगी कि वह खुद को निर्दोष साबित करे।
•एनआईए के सब-इंस्पेक्टर रैंक से ऊपर के अधिकारी को जांच के लिए स्पेशल पावर दी जाएगी।
•एनआईए को 180 दिन तक आरोपियों की हिरासत मिल सकेगी। फिलहाल जांच एजंसी को गिरफ्तारी के 90 दिन के भीतर ही चार्जशीट फाइल करनी होती है।
•विदेशी आतंकवादियों को जमानत नहीं मिल पाएगी।
•एनआईए के अपने विशेष वकील और अदालतें होंगी जहाँ आतंकवाद से संबंधित मामलों की सुनवाई होगी।
तो अब बात करते हैं कि जब इस विधेयक को 2008 में बनाया गया था तो इसमें बदलाव के लिए या नए क़ानून बनाने की आवश्यकत क्यों पड़ी?
तो पहले तो वर्तमान में आतंकवाद के प्रति भारत के रूख को जानना जरूरी है| पिछले वर्षों में हुए आतंकी व नकस्ली हमलों में भारत ने अपना बहुत कुछ खोया है| जहाँ बहुत से स्थानों पर विकास कार्यों में रूकावटें आई है वहीँ भारत के जाने-माने धुरंधर नेता और सैनिक भी आतंक के शिकार हुए हैं| जिसे देखते हुए अंतर्राष्टीय स्तर पर भारत के दूसरी बार बहुमत से मनोनीत वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने आतंकवाद से लड़ने के लिए पूरी दुनिया का सहयोग माँगा है| मोदीजी ने स्पष्ट किया है कि किसी भी सूरत में आतंक को बर्दास्त करने के लिए देश मूड में नहीं है| मतलब अब जो भी बात होगी सीधे या तो मेज पर होगी या फिर समाधान सैनिकों द्वारा किया जाएगा| अब ऐसे में जो विदेशी आतंकवाद भारत में कार्यवाही को अंजाम देने के बाद भारतीय सुरक्षा और सविधान को धत्ता पहुंचाते हुए दूसरे आतंकी देशों में शरण लेने पहुँच जाता है तो ऐसे में भारत द्वारा क्या कार्यवाही की जा सकती है उस पर भारत के शीर्ष व बुद्धिमान अर्थशास्त्रियों, सुरक्षाविदों, नेताओं व मिडिया द्वारा चिंतन अनिवार्य हैं|
जिसे ध्यान में रखते हुए लोकसभा ने 15 जुलाई 2019 सोमवार को ‘राष्ट्रीय अन्वेषण अधिकरण संशोधन विधेयक 2019' को मंजूरी दे दी जिसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भारत से बाहर किसी अनुसूचित अपराध के संबंध में मामले का पंजीकरण करने और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है| निचले सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि आज जब देश दुनिया को आतंकवाद के खतरे से निपटना है, ऐसे में एनआईए संशोधन विधेयक का उद्देश्य जांच एजेंसी को राष्ट्रहित में मजबूत बनाना है|
रेड्डी ने कहा, ‘आतंकवाद का कोई धर्म, जाति और क्षेत्र नहीं होता| यह मानवता के खिलाफ है| इसके खिलाफ लड़ने की सरकार, संसद, सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है|' रेड्डी ने कुछ सदस्यों द्वारा चर्चा के दौरान दक्षिणपंथी आतंक और धर्म का मुद्दा उठाए जाने के संदर्भ में कहा कि सरकार हिंदू, मुस्लिम की बात नहीं करती| सरकार को देश की 130 करोड़ जनता ने अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी दी है और जिसे चौकीदार के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वीकार किया है| देश की सुरक्षा के लिए सरकार आगे रहेगी| उन्होंने कहा कि सरकार आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने की जिम्मेदारी हाथ में लेगी| एनआईए को शक्तिशाली एजेंसी बनाया जाएगा|
सदन ने मंत्री के जवाब के बाद विपक्ष के कुछ सदस्यों के संशोधनों को खारिज करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया|
जबकि इस विधेयक की चर्चा के दौरान ओवैसी ने कहा- डराइये मत,
जिस पर भारतीय गृहमंत्री अमित शाह बोले- डराया नहीं जा रहा है, लेकिन डर जेहन में है तो क्या किया जा सकता है|
इससे पहले विधेयक को विचार करने के लिए सदन में रखे जाने के मुद्दे पर एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने मत-विभाजन की मांग की| गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा कि इस पर मत-विभाजन जरूर होना चाहिए| इसकी हम भी मांग करते हैं ताकि पता चल जाए कि कौन आतंकवाद के साथ है और कौन नहीं| मत विभाजन में सदन ने 6 के मुकाबले 278 मतों से विधेयक को पारित किए जाने के लिए विचार करने के लिए रखने की अनुमति दे दी|
गृह राज्यमंत्री रेड्डी ने कहा कि इस संशोधन विधेयक का मकसद एनआईए अधिनियम को मजबूत बनाना है| आज आतंकवाद बहुत बड़ी समस्या है, देश में ऐसे उदाहरण हैं जब मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री आतंकवाद के शिकार हुए हैं| आतंकवाद आज अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय समस्या है| ऐसे में हम एनआईए को सशक्त बनाना चाहते हैं| उन्होंने कहा कि जहां तक एनआईए अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति का विषय है तो हम सिर्फ प्रक्रिया को सरल बनाना चाहते हैं| कई बार जज का तबादला हो जाता है, पदोन्नति हो जाती है, तब अधिसूचना जारी करना पड़ती है और इस क्रम में दो तीन माह चले जाते हैं| हम इसे रोकना चाहते हैं|
उन्होंने स्पष्ट किया कि एनआईए अदालत के जजों की नियुक्ति संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ही करते रहेंगे, जिस तरह अभी प्रक्रिया चल रही है| गृह राज्य मंत्री ने कहा कि आतंकवाद के विषय पर केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर काम करेगी| दोनों में तालमेल रहेगा| उन्होंने पाकिस्तान के आतंकवाद से संबंधित समझौते पर दस्तखत करने या नहीं करने के सवाल पर कहा कि पुलवामा और बालाकोट आतंकी हमलों के बाद भारत ने बता दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ जांच कैसे होती है| उनका इशारा सजिर्कल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक की ओर था|
रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस के समय ही एनआईए कानून में कई कानूनों को जोड़ा गया था लेकिन उस समय इस पर ठीक से काम नहीं हुआ और हम संशोधन लेकर इसे उन्नत बना रहे हैं| उन्होंने बताया कि एनआईए ने 272 मामलों में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की| इनमें 52 मामलों में फैसले आए और 46 में दोषसिद्धी हुई| रेड्डी ने बताया कि 99 मामलों में आरोपपत्र दाखिल हो चुका है|
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विधेयक से एनआईए की जांच का दायरा बढ़ाया जा सकेगा और वह विदेशों में भी भारतीय एवं भारतीय परिसम्पत्तियों से जुड़े मामलों की जांच कर सकेगी जिसे आतंकवाद का निशाना बनाया गया हो| उन्होंने कहा कि इसमें मानव तस्करी और साइबर अपराध से जुड़े विषयों की जांच का अधिकार देने की बात भी कही गई है|
अब बात करते हैं कि औवेशी सहित बाकी 6 सांसदों का इस विधेयक के प्रति विरोध दर्ज करवाने बारे|
तो मत विभाजन में सदन ने 6 के मुकाबले 278 मतों से विधेयक को पारित कर दिया। लेकिन 6 सांसद जिन्हें लगता है कि यह विधेयक एक विशेष वर्ग के खिलाफ बनाया जा रहा है ने इसका विरोध किया है| इन सांसदों के मुखिया एवं AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी के अनुसार “हमें डराया जा रहा है” ओवैसी ने बहस के दौरान कहा था कि सरकार अल्पसंख्यकों को डराने की कोशिश न करें। ओवैसी ने बहस के दौरान कहा था कि सरकार अल्पसंख्यकों को डराने की कोशिश न करें। ओवैसी ने समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में कहा, 'क्या उन्होंने राष्ट्रभक्त और देशद्रोहियों की दुकान खोल रखी है?' हैदराबाद के सांसद ने आरोप लगाया, 'अमित शाह ने मेरी तरफ उंगली कर धमकाया लेकिन वह सिर्फ एक गृह मंत्री, भगवान नहीं।
सांसद ओवेसी की उक्त बातों से कहीं इस बात की पुष्टि नहीं होती कि वे आतंकवाद का विरोध कर रहे हैं या एन आई ए एजेंसी का| लेकिन यह बात अवश्य स्पष्ट हो रही है कि वे कहीं न कहीं अपने देश को अराजकता में झोंक कर अपनी राजनीति चमकाने के उद्देश्य से इस प्रकार की बहस का भाग बनना चाहते हैं ताकि उनकी कौम या उनका समाज उनके प्रति आश्वस्त रहते हुए उनकी पार्टी को ही वोट करे| 2014 के चुनाव के बाद बंटा हुआ मुस्लिम समाज कईं क्षेत्रीय पार्टियों में विभाजित हो गया है जिस कारण ओवेसी जैसे नेताओं को असुरक्षा की भावना पनपनी अनिवार्य है| खोती हुई सत्ता, निचे से खिसकती हुई कुर्सी बचाने की चाह में देश की सुरक्षा को ताक पर रखने वाले ऐसे खुदावर नेता स्वार्थ की राजनीति में इतने खो जाते हैं कि उन्हें असलियत कहीं कोसो दूर तक नजर नहीं आती| ओवेसी जैसे नेताओं की बेतुकी बहस किसी अंजाम तक पहुंचे या नहीं लेकिन जनता को गुमराह करने का कार्य अवश्य कर जाती है| जिससे देश में अराजकता फैलाने वाली विदेशी ताकतों को बल मिलता है और यही देश के विकास में रोड़ा भी साबित होता है| ऐसे में स्वार्थी नेताओं का तो कोई नुक्सान नहीं होता लेकिन देश हर बार एक सदी पीछे अवश्य चला जाता है|
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